संग्रहालय

नवागढ़
नवागढ़ गुप्तकालीन नगर है, जिसका विकास प्रतिहार काल एवं चंदेलकाल में हुआ था।
उत्तरप्रदेश ललितपुर जिलान्तर्गत महरौनी तहसील के सौजना थाना में 78.80 देशान्तर एवं 24.34 पर स्थित राजस्व ग्राम नवाई में प्रागैतिहासिक क्षेत्र नवागढ़ है, जो अजनोर टीकमगढ से 11कि.मी.दुरी पर है।
अप्रैल १९५९ में टीले पर स्थित इमली वृक्ष के नीचे भूगर्भ में स्थित जैन धर्म के अठारहवें तीर्थंकर अरहनाथ स्वामी के कायोत्सर्ग मूर्ति का अन्वेषण किया, खनन कार्य में यहाँ कई जिनालयों के साक्ष्य मिले।
नवागढ़ में 1959 से अब तक 114 प्राचीन प्रतिमाएं खुदाई में मिल चुकी हैं, जिन पर पीएचडी हो रही है। फाइटोन पहाड़ी के निकट जैन पहाड़ी पर स्थित संघ साधना स्थल, गुफाओं में उकेरी गई आकृति और चरण चिह्न यहां जैन विरासत का साक्षात्कार कराते हैं। रॉक पेंटिंग, कपमार्ग, हैंगिंग रॉक, बैलेंस रॉक, मैटेलिक साउंड रॉक इसके विशेष पर्यटन स्थल होने का साक्ष्य हैं। ज्वालामुखी लावे से निर्मिति चट्टानों के मध्य कई प्राकृतिक गुफायें है, यहाँ लघु पहाड़ियों की श्रृंखलाये है।
जिनमें रॉक आर्ट सोसायटी भारत के महासचिव डॉ.गीरिराजकुमार, दयाल बाग़ इंस्टिट्यूशन आगरा कई दिन तक सतत सर्वेक्षण करके पाषाणकालीन औजारों एवं कल्प मार्ग 10000 वर्ष प्राचीन का अन्वेषण किया है ।