क्षेत्र के प्रारंभिक विकास के क्रम में प्रथम बार सन 1960 में पंडित नीरज जैन सतना के निर्देशन में प्रांतीय जैन समाज के सहयोग से भोंयरे का जीर्णोद्धार किया गया। प्रतिष्ठाचार्य पंडित गुलाब चंद पुष्प एवं आंचलिक समाज के सक्रिय सहयोग से वर्ष 1985 में पंचकल्याणक प्रतिष्ठा एवं गजरथ महोत्सव के सफल आयोजन के फलस्वरूप शिखर सहित मूलनायक मंदिर बाहुबली जिनालय एवं धर्मशाला का निर्माण कार्य संपन्न हुआ।
ब्रह्मचारी जय कुमार निशांत भैया जी के निर्देशन में क्षेत्र को नवीन स्वरूप प्रदान कराते हुए वास्तु एवं शिल्प कला के अनुरूप किए गए सुंदरीकरण से आज नवागढ़ क्षेत्र जन जन की आस्था का केंद्र बन चुका है । भक्तगण यहां आकर विधान एवं जप अनुष्ठान करके अपनी समस्याओं का निदान पाकर भगवान अरनाथ स्वामी के प्रति समर्पित हो जाते हैं।